विज्ञान का जन्म :- भाग 2




आज प्रस्तुत है "विज्ञान का जन्म" कड़ी का दूसरा भाग, पिछले भाग में हमने मानव के मस्तिष्क में उत्पनहोने वाले विचारों पे विचार किया था, ये जानने की कोशिश की थी की विज्ञान का जन्म कहाँ से हुआ और आजफिर हम अपनी इस कड़ी को आगे बढाते हैं|

जब कहीं भी
विज्ञान के जन्म की बात होती है तो उसमें सबसे पहला नाम जो आता है वो है, प्राचीन ग्रीस| प्राचीन ग्रीस को ही विज्ञान का जन्म स्थान कहा जाता है| यहाँ 600 ई.पू. ब्रह्मांड को समझने के लिए एक नयादृष्टिकोण उभरा, इसके पहले लोग संस्कृति और अन्धविश्वाश में रहते थे उनके लिए सब कुछ प्रकृति और देवी देवता ही थे| यही वह समय था जब पहली बार इन धारणाओं को मिथ्या बताया गया और इसकी शुरुआतहुयी यूनान से|

वह पहला समाज युनानिओं का ही था जो इस विचार धारा के मिथक के नाम से जाने जाते हैं| उन्होंने इन सभीविचारों के शारीरिक स्पष्टीकरण (Physical explanations) मांगने शुरू कर दिये और जब यहाँ उन्हें कोईस्पष्टीकरण न मिल सका तो वो खुद ही इसकी खोज में निकल लिए| वे ही इस दुनिया में सबसे पहले थे जोदेवताओं के कार्यों के सन्दर्भ में सामग्री नहीं बल्कि संस्कृतियों के विपरीत ब्रह्मांड को समझने में लगे थे|

ग्रीक लोग हमेशा प्रकृति के क्रिया कलापों के बारे में ही सोचते थे और सब कुछ प्रकृति की ही देन और धरोहर समझते थे, वे सभी चीजों को हमेशा भगवान और प्रकृति जैसे शब्दों से ही जोड़ कर उनका परिणाम उसी पेछोड़ देते थे| इसके विपरीत पहली बार यूनान के कुछ शुरूआती वैज्ञानिकों ( शुरूआती इसलिए क्यूंकि कहाजाता है
विज्ञान की शुरुआत यहीं से हुयी ) ने एक धारणा बनाई और बताया की यह दुनिया एक अंतर्निहिततर्कसंगत एकता (Underlying rational unity) और विभिन् प्रकार के मौजूद व्यवस्था प्रवाह (Order existed within the flux) का मिश्रण है| उन्होंने प्रकृति को प्रकृति के ही शब्दों में समझाया, उन्होंने कुछ केमूल प्रकृति से परे कर दिये, सामान्य रूप से व्यक्तिगत देवी देवताओं के माध्यम से अलग होकर इस दुनियाको देखने की कोशिश की|

वैसे यह भी सुनिश्चित है की
विज्ञान का जन्म वास्तविक रूप में यहाँ नही हुआ, यह अभी भी मातृहीन ही थालेकिन फिर भी यह दुनिया को देखने की एक नयी और अलग ही तरह की धारणा थी|

और अगर हम दूसरी तरफ देखें , तो जैसा की हम जानते हैं की किसी भी रहस्य के बारे जानने की कोशिशकरना और उसके बारे में जानना ही
विज्ञान है तो क्या वह विज्ञान थी जो हमारे पूर्वजों ने अपने रहस्यों कीजानकारी देवी - देवताओं के रूप में दी, हम ये तो कह सकते हैं की नहीं वह विज्ञान नही थी विज्ञान हमेशा इनधारणाओं के विपरीत ही रही है - तो क्या था वह जो पुरातन मानव ने अपने अनुसार रहस्यों को अनावरण कर, अपने चेतना और मन - मस्तिष्क का प्रयोग कर प्राप्त किया था ..............क्या था वो ?

अब आगे की चर्चा हम इस कड़ी के अगले भाग में करेंगे .....................

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2 Response to "विज्ञान का जन्म :- भाग 2"

  1. संगीता पुरी , on September 21, 2009 at 5:03 AM said:

    एक एक चीज प्रकृति के नियमानुसार चलता है .. लोग तो किसी न किसी शक्ति को मानने के लिए बाध्‍य होंगे ही !!

  2. Arvind Mishra, on September 21, 2009 at 7:19 AM said:

    अच्छी विज्ञान चर्चा !