इन्टरनेट और प्यार






भारत बैसे तो भले ही अमेरिका और जापान जैसे देशों से तकनीक में पीछे हो पर तकनिकी प्यार करने में उनसेकाफी आगे है | आज दोस्ती और प्यार करने का ये एक अलग ही अंदाज है |

आज दुनिया भर में इन्टरनेट का प्रयोग करने बालों पर हुए तजा सर्वे के मुताविक इन्टरनेट पर दोस्ती करने बालोंमें भारतीय और चीनी नागरिक सबसे आगे हैं | भारतीय यूजर्स न सिर्फ इन्टरनेट पर दोस्ती करने बल्कि दोस्तीको प्यार में बदलने में भी दुनिया भर के देशों को पीछे छोड़ चुके हैं |


मतलब दुनिया के सबसे ज्यादा दिल फेक आशिक हमारे भारत में ही हैं !!!



इस बार "इन्टरनेट सिक्युरिटी फर्म सीमंतेक ने जो सर्वे किया है उसके अनुसार 92 फीसदी लोग अपने दोस्तों औरपरिवार बालों से बात करने के लिए इन्टरनेट इस्तेमाल कर रहे हैं और सर्वे में शामिल ५० फीसदी लोग कहते हैं कीवे सोशल नेट्वर्किंग site के लिए इन्टरनेट इस्तेमाल कर रहे हैं |


इस रिपोर्ट के अनुसार १० में से हर ७ व्यस्क का यही कहना है की इन्टरनेट की वजह से उनके रिश्ते वेहतर हुए हैं , और ऐसा मानने वाले सबसे ज्यादा व्यस्क भारतीय हैं |

वैश्विक स्तर पर ६० फीसदी इन्टरनेट यूजर्स ने माना की उन्होंने इन्टरनेट के जरिये दोस्त बनाये | चीन के ८६फीसदी , भारत के ८३ फीसदी और ब्राजील के ८२ फीसदी युवाओं ने यह भी माना की उन्हें काल्पनिक दुनिया मेंदोस्त बनाना पसंद है |

इस रिपोर्ट के अनुसार तो "ऑनलाइन फ्रेंडशिप " में आगे रहने वाले भारतीय यूजर्स अपनी निजी सूचनाओं कीसुरछा पर ज्यादा ध्यान नही देते हैं | इनके मुताविक भारत के ६७ फीसदी , इटली के ६८ फीसदी और जापान के७२ फीसदी अपने कंप्यूटर में सिक्युरिटी सॉफ्टवेर लगाने में सबसे कम दिलचस्पी लेते हैं |


तो ये है हमारा भारतीय दोस्ती और प्यार , बिना किसी छल - कपट का , इसलिए तो इन्हें सिक्युरिटी सॉफ्टवेर की जरूरत नही होती है , चाहे कितने भी धोखे खाएं पर ये तो हैं ही दिल फेक आशिक |

वो कहते हैं न " दिल चाहे दिल के टुकड़े करके सब में बाट दूँ " !!!!!

Read Users' Comments (1)comments

1 Response to "इन्टरनेट और प्यार"

  1. Anil Kumar, on April 6, 2009 at 8:17 AM said:

    औरकुट-फेसबुक पर कई परिचितों के बहलाने-फुसलाने पर प्रोफाईल बनाया था। यदा-कदा किसी ने कोई संदेश भेजा तो चटकाई लिये, नहीं तो अपने में ही मगन। इंटरनेट पर प्यार करने की भी कोशिश की। सभी मर्द ही निकले। लहजा वहां भी फेल। बस एक ही सफलता हाथ लग रही है - जब से चिट्ठे लिखने शुरू किये हैं, अपने आप को थोड़ा और करीब से जानने लगा हूँ। कुछ दोस्त भी बन गये हैं! अब शायद इसी को प्यार कहते हैं!