विज्ञानं और तकनीक

अक्सर ही ऐसा होता है की लोग न जाने किस लक्ष्य के पीछे भागने में अपना उद्देश्य खो देते हैं| आज विज्ञानं के साथ भी यही बात है, सभी कलम तो उठाते हैं विज्ञानं लिखने को और लिखते हैं तकनीकी ज्ञान के बारे में| क्या ऐसा कुछ है की इन्हें इनका अर्थ मालूम नहीं, तो फिर येसा क्यूँ? क्यूँ ऐसा हो रहा है? क्यूँ लोग इतनी आसानी से अपने पथ से विचलित हो जाते हैं और येसी गलतियाँ दुहराते हैं? क्या इन्हें अपनी गलतियों का एहसास नहीं या यह सब कुछ जानबूझकर?

सभी सोच रहे होंगे आज मेरे जहन में ये उटपटांग सा शवाल क्यूँ, वैसे तो खास कोई भी कारण नही, हुआ यूँ की आज मेरी बात मेरे इक दोस्त से विज्ञानं पे हो रही थी परन्तु कुछ ही समय में वह विज्ञानं से तकनीक की तरफ झुक गया और मेरे बोलने पे भी वह अपने बात पे अडिग रहा और कुछ भी स्वीकार करने को राजी ही नही| अंततः मैंने उससे पूछा “तो क्या विज्ञानं और तकनीकी ज्ञान एक ही हैं?”|

तो पता है उसका जबाब क्या मिला, “वो तो मुझे नही मालूम परन्तु आज विज्ञानं का यही अर्थ है सभी मानते हैं, कोई भी विज्ञानं से सम्बंधित ब्लॉग या वेबसाइट देख लो ९०% पे तुझे यही सब मिलेगा”|
अब बताओ मैं क्या कहता, येसा तो नहीं की उसकी गलती नही परन्तु मुझ जैसों का क्या जो ऐसा कर रहे हैं विज्ञानं के नाम पे तकनीकी ज्ञान बिखेर रहे हैं| यहाँ इस तरह की ब्लॉग और साईट अपडेट करने वाले सभी तो पढ़े-लिखे हैं और जब वो ऐसा कर रहे हैं तो फिर उनका क्या जो विज्ञानं या तकनीक को जानना चाहते हैं और उसके लिए वो ब्लॉग या वेबसाइट पे आते हैं, “क्या ज्ञान मिलता हैं उन्हें?”|

और इस तरह की किसी बात को बताना चाहो तो येसा लगता है जैसे क्रांति हो गयी हो और ब्लोगर क्रांतिकारी बन जाते हैं जैसे की ये ब्लॉग जगत का १८५७ का विद्रोह चल रहा हो, और अब तो तकनीकी ज्ञान को विज्ञानं बना के ही दम लेंगे| क्या हममे खुद से सोचने समझने की शक्ति का समापन चल रहा है जो सब क्रांति का इंतजार करते हैं? इंतजार करते हैं उस वक्त का जब कोई निरदेषित करेगा क्यूँ हम किसी और का इंतजार करते हैं?

आज मेरी इन बकवास बातों में कुछ ज्यादा ही वक्त निकल गया और जो कुछ कहना था वो तो धरा का धरा ही रह गया|
मैं बात कर रहा था विज्ञानं और तकनीकी ज्ञान का, मैंने देखा बहुत से विज्ञानं से सम्बंधित वेबसाइट पे ये बताया जा रहा है की :-
अब मोबाइल ट्रेकर की मदद से मोबाइल चोरी नही हो सकते|
नये ब्लू डिस्क में २० जी.बी. से भी ज्यादा स्टोरेज छमता होती है|
अब कंप्यूटर में भी मोबाइल प्रोसेसर, यह हुआ और भी पोर्टेबल|
विंडोज ७ सपोर्ट करता है १९० जी.बी. से भी ज्यादा रैम|
निकोन का नया एस.एल.आर. कैमरा डिजिटल फोटोग्राफी के लिए और भी ज्यादा पॉवरफुल|,.....आदि|
और भी बहुत कुछ, क्या यह सब विज्ञानं की देन है, हाँ ये सब विज्ञानं के कारण ही संभव हुआ परन्तु ये विज्ञानं तो नही, न ही विज्ञानं की कहीं कोई ऐसी परिभाषा मिलती है जिससे ये कहा जा सके की ये ही विज्ञानं हैं|

विज्ञानं की परिभाषा:-
“किसी तत्व या बस्तु का वास्तविक और विशेष ज्ञान ही विज्ञानं है”|
अगर हम विज्ञानं की पारिभाष को ध्यान में रखते हुए उपरोक्त विषय को देखें तो क्या हम यह कह सकते हैं की ये ही विज्ञानं हैं :-
मोबाइल ट्रैकिंग की सुबिधा हमें उसमे निहित सॉफ्टवेर से मिलती है और सॉफ्टवेर इंजिनीरिंग विज्ञानं कि विषय नही|
ब्लू डिस्क कि स्टोरेज छमता बढ़ाना विज्ञानं नही, विज्ञानं है इसमें प्रयोग होने वाले कैमिकल का अध्यन| यदि हम विज्ञानं के बारे में लिखना चाहते हैं तो कैमिकल के उन गुणों का वर्णन कर सकते हैं जिसका उपयोग कर तकनीकी ज्ञान ने ब्लू डिस्क को बनाया|
कंप्यूटर प्रोसेसर और उसके मदर बोड के किन तत्वों के मेटेरियल को हमने बदल कर और उसके किन गुणों का उपयोग कर हमने अपने कंप्यूटर को और भी ज्यादा पोर्टेबल बनाया|

“किसी भी तत्व का वारिकी से अध्यन कर उसका वास्तविक और विशेष ज्ञान प्राप्त करना ही विज्ञानं है, और उस विशेष ज्ञान का लोजिकल कैलकुलेशन कर उससे अपनी सुविधा के लिए नए – नए तकनीक विकास करना ही तकनीकी ज्ञान है”|

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3 Response to "विज्ञानं और तकनीक"

  1. L.Goswami, on February 14, 2010 at 10:25 AM said:

    सहमत,अच्छा आलेख है....जरा वर्तनी की ओर ध्यान दें.

  2. AAKASH RAJ, on February 14, 2010 at 10:43 AM said:

    लवली जी, जब मेरी हिंदी सुधर जायेगी तब ये सभी भी ठीक हो जायेंगे .........


    धन्यवाद आपका

  3. बी एस पाबला, on February 14, 2010 at 2:39 PM said:

    पोस्ट की भावना से सहमत

    बी एस पाबला