संस्कृत और संस्कृति

बिहार संस्कृत शिछा बोर्ड ने राजधानी में दो दिवसीय रास्ट्रीय संस्कृत सम्मलेन शुरू किया और इसके सम्मलेन में मंत्री ने कहा " संस्कृत को भुलाया तो नही बचेगी संस्कृति|
मैं ये तो नही जानता की हमारे कितने मंत्रियों को अपनी ही मातृभाषा कही जाने वाली संस्कृत का कितना ज्ञान है, परन्तु हाँ ऐसे बहुत से राजनेताओं को देखा जिन्हें मातृभाषा तो दूर राष्ट्रभाषा हिंदी भी ठीक से बोलनी नही आती|
मुझे अपने देश के राजनेताओं की यह धारणा जानकार बेहद अफ़सोस होता है की "कोई सभ्यता और उसकी संस्कृति की एक भाषा की भी मोहताज हो सकती है|" 

एक व्यंग :-
किसी ने कहा था "यह मेरे भारत की भूमि है यहाँ मुझ सा एक मिटेगा तो सैकड़ों फिर आ जायेंगे"
और आ भी गये सैकड़ों क्या लाखों आये हैं पर ये क्या.............. ऐसे - ऐसे ......................



खैर ......... जय हिंद..........!

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